जो तुम चाह रहे हो, वही हो रहा है।
तुम चाहो तो ठीक से।।
तुम मुझे चाहोगे, मैं भी तुम्हारा हो जाऊंगा।
तुम चाहो तो ठीक से।।
तुम मुझे पुकारोगे, तुम्हारे पास चला आऊंगा।
तुम पुकारो तो ठीक से।।
तुम्हारी चेतना के भीतर से इक पुकार की झनकार मेरे कर्ण पटल पर बार बार, यूं चली आती है।
इसका अर्थ मैंने जाना यही कि चेतना तुम्हारी भी शांत नहीं है, ध्येय में वह मुझे चाहती है।
तुमने भी जाना है इस बार, तुमने भी इस बार समझा है उसे, देखो हम अंतर्मन से एक होने लगे हैं।
प्रतीत होता है, अब सब कुछ हो जाएगा ठीक से।।
तुम चाहो तो ठीक से। तुम चाहो तो ठीक से।।
अद्भुत ✨
~ शिवम् द्विवेदी (जोशवा मोक्ष)
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