तुम चुड़ैल सी दिखती हो, मैं तुम्हारा भूत बन जाऊं।
अपनी प्रेम कहानी का, एक सबूत बन जाऊं।।
मुझे मेरी दीवानगी का एक अद्भुत एहसास दो।
मैं तुम्हें चाहता हूँ, तुम मुझे घास दो।।
पुकारता हूँ मैं आज तुम्हें अपने गूंगे मुख से,
कि सब्र हो गया बहुत, मैं क्रोध में होने को हूँ।
कल्पना मुझे ने थी, जो देखा, विचार ना किया था कभी,
उस रोज़ पिशाच संग देख तुम्हें, मैं शांत होने को हूँ।।
तुम चुड़ैल सी दिखती हो, क्यों न मैं तुम्हारा भूत बन जाऊं।
तुम ऊल जलूल सी हरकत, मैं ऊट पटांग बन जाऊं।।
(यूं ही एक हास्य काव्य का प्रयास, यदि संभव हो, इच्छुक हों तो कमेंट्स में राय, टिप्पणी अथवा विचार साझा करिएगा)
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