
June 2, 2023
Shanky
Salty
गरीबी की आग में जलती ये जिंदगी,
हर रोज़ सब्र करती, सदा थकी हारी।
महँगाई के तूफ़ान से घिरी,
भूख और प्यास की रोशनी है खरी।
ढलती रातों में उम्मीद की किरण,
चूर-चूर होती अज्ञानता की शहरी।
पैरों में बंधी है वो कंगाली की जंजीर,
मन में बसी है वो चिंगारी की प्यासी लहरी।
गरीबी की धूप में जलते हैं उम्मीद के दिये,
भरोसे की इक आशा, जीवन की दुर्भाग्य वाणी।
दरिया-ए-ग़रीबी में खो गया है सब कुछ,
इंसानियत की बेमिसाल कहानी।
लेकिन गरीबी के पेड़ उगाएंगे जब,
उन पर छाएंगे विजय के सपने।
संघर्ष से जीना सिखाएगी वो,
हिम्मत और मेहनत के मस्ताने।
गरीबी के संग में चमकेगी सूरज की किरण,
जीवन के क्षणों में रंगींगी छापेगी।
गरीबी के बंधनों को तोड़कर,
ख्वाबों की दुनिया में स्वतंत्रता पाएगी।
गरीबी एक अध्याय है जीवन का,
जो सबको सिखाती है मजबूरी का अर्थ।
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