ShankySalty posted: " February 21, 2022 ShankySalty ज़िंदगी भी अब मुझको व्यर्थ सी लगती हैखुद का अस्तित्व ढुँढनें में मुझको असमर्थ सी महसूस होती हैमेरी हर कोशिश ना जाने क्यों व्यर्थ सी होती हैहर पल लोग खफा हो जाते हैहर जगह हम असफल हो जाते हैआँखे बंद करते हीं आँखों से आँ"
ज़िंदगी भी अब मुझको व्यर्थ सी लगती है खुद का अस्तित्व ढुँढनें में मुझको असमर्थ सी महसूस होती है मेरी हर कोशिश ना जाने क्यों व्यर्थ सी होती है हर पल लोग खफा हो जाते है हर जगह हम असफल हो जाते है आँखे बंद करते हीं आँखों से आँसु बह जाते है इंसानियत पल-दो-पल मिटता जाता है एक-दुजे से इंसान जलता ही जाता है मुट्ठी में रेत की तरह समय बितता जाता है अर्थ कि चिंता कर मनुष्य एक दिन अर्थी पर लेट ही जाता है
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