February 21, 2022

Shanky❤Salty

ज़िंदगी भी अब मुझको व्यर्थ सी लगती है
खुद का अस्तित्व ढुँढनें में मुझको असमर्थ सी महसूस होती है
मेरी हर कोशिश ना जाने क्यों व्यर्थ सी होती है
हर पल लोग खफा हो जाते है
हर जगह हम असफल हो जाते है
आँखे बंद करते हीं आँखों से आँसु बह जाते है
इंसानियत पल-दो-पल मिटता जाता है
एक-दुजे से इंसान जलता ही जाता है
मुट्ठी में रेत की तरह समय बितता जाता है
अर्थ कि चिंता कर मनुष्य एक दिन अर्थी पर लेट ही जाता है



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