क्या आज भी सबकुछ यहीं है
या कुछ खो गया है?
रास्ते मालूम है
फिर क्यों
उस ओर कदमें नही भाग रही
क्या ये वही रास्ता है
या कुछ खो गया है?
क्या डायरियों में दबे समय
अब भी वहीं रुके हैं?
क्या शबनम में छुपे
वो उन्माद अब भी
वहीं ठहरे हैं?
या कुछ खो गया है?
ख़बर नही!

-शिवाय


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