hecblogger posted: " चर्चा-ए-आम है ज़हानत का तेरीमैंने देखी है शरारत आँखों में तेरी यूँ तो तूने न किया इज़हार-ए-वफ़ामैंने देखी है इज़ाजत आँखों में तेरी अब तक क्यों न थामी कलाई मेरीमैंने देखी है शिकायत आँखों में तेरी लग चुका है तुझे भी इश्क़ का रोगमैंने देखी है हरारत आँखो"
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